हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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सोमवार, 5 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री आशा मेहर जी के हिन्दी हाइकु

हाइकु कवयित्री 

आशा मेहर

हाइकु


बिटिया प्यारी
चंचल मनुहारी
करे निहाल ।

झंकृत मन
गुंजित सरगम
बूंदों की साज ।

नेह नयन
तकते सूने पथ
जगाये आस ।

सांझ की बेला
रत्नाभ रश्मि संग
मन उदास ।

धीर धरो मां
पुत्री है वरदान
बढाये मान ।

नव अंकुर
हर पल बढ़ता
बने विशाल ।

सजल आंखें
टीस भरे अंतस
निकले आह ।

नारी हो तुम
वसुन्धरा बनना
सहनशील ।

संवेदना है
ढूंढ लेती हैं राहें
नारी की आँखें ।

□ आशा मेहर
रायगढ़ ( छत्तीसगढ़ )

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