हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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सोमवार, 5 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री ~ डॉ. सुरंगमा यादव जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

डॉ. सुरंगमा यादव 

हाइकु 


1.
झील में चाँद 
पकड़ने की जिद 
हठीला मन ।

2.
सुनो कहानी 
धरा और आँख में 
घटता पानी ।

3.
साँझ की बेला 
पतझर में बैठा 
पंछी अकेला ।

4
धुंधली शाम 
थके परिंदे लौटे 
चाहें विश्राम ।

5.
चला के तीर 
फिर तुमने पूछा 
हुई क्या पीर !

6.
परंपराएँ 
पाँव जो उलझाएँ 
हमें न भाएँ ।

7.
खुश थे बड़े 
सपनों में थे खोये 
जागे तो रोये ।

8.
दुःख की आँधी 
उखड़ने लगता 
धैर्य का पौधा ।

9.
वक्त ने ठेला
पत्तों का छूट गया 
वृक्ष हिंडोला ।

10.
नन्हीं-सी कली 
वासना की सेज पे 
गयी मसली ।

□  डॉ. सुरंगमा यादव

4/27, जानकी पुरम विस्तार 

लखनऊ -226031


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