हाइकु कवयित्री
डॉ. सुरंगमा यादव
हाइकु
1.
झील में चाँद
पकड़ने की जिद
हठीला मन ।
2.
सुनो कहानी
धरा और आँख में
घटता पानी ।
3.
साँझ की बेला
पतझर में बैठा
पंछी अकेला ।
4
धुंधली शाम
थके परिंदे लौटे
चाहें विश्राम ।
5.
चला के तीर
फिर तुमने पूछा
हुई क्या पीर !
6.
परंपराएँ
पाँव जो उलझाएँ
हमें न भाएँ ।
7.
खुश थे बड़े
सपनों में थे खोये
जागे तो रोये ।
8.
दुःख की आँधी
उखड़ने लगता
धैर्य का पौधा ।
9.
वक्त ने ठेला
पत्तों का छूट गया
वृक्ष हिंडोला ।
10.
नन्हीं-सी कली
वासना की सेज पे
गयी मसली ।
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