हाइकु कवयित्री
डॉ. मिथिलेश दीक्षित
हाइकु
01.
चित्र उभरा
चित्त में उतरी जो
गहरी याद !
02.
जैसे बसती
सुरभि सुमन में
स्मृति मन में !
03.
बिना ममता
घर भी घर जैसा
कहाँ लगता !
04.
ठहर गयी
बरगद की छांव
मन के गांव !
05.
अश्रु नहीं ये
बूढे नयनों की हैं
धुंधली यादें !
06.
देखा सुमन
छा गया मधुमास
मन के वन !
07.
खिल गया है
फूल कोई बाग में
रंग मैं उठी !
08.
कोहरा छाया
हवाओं को देख लो
पसीना आया !
09.
ली है शपथ
रुक नहीं सकता
हमारा पथ !
10.
प्रभु के लिए
जीवन भर जले
पूजा के दिये !
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