हाइकुकार
राम निवास "पंथी"
हाइकु
1.
जाप करते
सरसराते पत्ते
अलस्सुबह ।
2.
शिल्प रचती
इल्म का समंदर
बया भरती ।
3.
काल सापेक्ष
क्षणों की रिद्म में
बहती नदी ।
4.
झिलमिलाता
सघन गुल्मों में
अटका चाँद ।
5.
पथ भागते
खामोश है शहर
बिम्ब बाँचते ।
6.
अपने कंधों
उम्र भर ढोना है
प्रीति पत्थर ।
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