हाइकु कवयित्री
किरण मिश्रा
हाइकु
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बहरा चाँद
रतजगे में इश्क
तारे गवाह ।
सुर्खी पहन
गुल दुपहरिया
सरसे पात ।
लाचार तन
आँख की किरकिरी
बूढ़े माँ बाप ।
फिसला सूर्य
क्षितिज उस पार
रजनी हँसी ।
पीली चूनर
खेत में लहराते
सरसों फूल ।
हो गई भोर
खनकते कंगन
जागी रसोई ।
नाची मयूरी
घिर आये बदरा
सावन आया ।
भोर ने ओढ़ी
कोहरे की रजाई
छुट्टी पे रवि ।
कुएँ का जल
वृक्ष छाया शीतल
मन निर्मल ।
ईश शरण
अंतस समर्पण
भाव दर्पण ।
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□ किरण मिश्रा
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