हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)
卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐
शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018
मंगलवार, 4 दिसंबर 2018
हाइकु दिवस प्रस्तुति
हाइकु मञ्जूषा
~~ ● ~~
"04 दिसम्बर 2018 - हाइकु दिवस"
आज के चयनित प्रतिनिधि हाइकु
~~~~~~~ ● ~~~~~~~
{1}
धान की बाली
महकती कुटिया
खुश कृषक ।
□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
{2}
कर्ज की पीड़ा
किसान की तड़प
खेतों को झाँके ।
□ पूनम आनंद
{3}
पके फसल
हर्षित है कृषक
हुआ सफल ।
निमाई प्रधान "क्षितिज"
{4}
आँधी का वेग
बरबाद फसल
रोता कृषक ।
□ डाॅ. रेखा जैन
{5}
कृषक दंग
मौसम का अंदाज
हुआ बेढंग ।
□ प्रकाश कांबले
{6}
फाड़े जो धरा
उगायें अन्न धन
वही विपन्न ।
□ गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"
{7}
आज कृषक
करता आत्महत्या
कर्ज में डूबा ।
□ हारुन वोरा
{8}
मौसम आग
कृषक का दुर्भाग्य
फसल राख ।
□ नवल किशोर सिंह
{9}
शीत- बरखा
कृषक के भाग्य में
रहता सूखा ।
□ सुधा राठौर
{10}
लगती प्यारी
खेतों खड़ी फसल
श्रम है भारी ।
□ संतोष खन्ना
{11}
बाग-बगीचे
खेत व खलिहान
स्तंभ किसान ।
□ माधुरी डड़सेना
{12}
पार्टी जीतती
किसान हारता है
हर चुनाव ।
□ मनीलाल पटेल
{13}
रंग लायी है
कृषक के खेत में
फसल अच्छी ।
□ ए. ए. लूका
{14]
कृषक स्वेद
सींच गई धरती
अन्न की भेंट ।
□ गीता द्विवेदी
{15}
सपने बोये
अरमानों की खाद
फसल कटी ।
□ अलका त्रिपाठी
{16}
बैल व हल
कृषक का है बल
मिलता फल ।
□ मधु गुप्ता "महक"
{17}
मिले रतन
मिट्टी पर उपजे
स्वर्ण की बाली ।
□ तेरस कैवर्त्य "आँसू"
{18}
कर्म बुआई
कृषक हाथ खाली
ऋण कटाई ।
□ पूर्णिमा साह
{19}
सूखे खेत हैं
चढ़ आए बादल
खुश कृषक ।
□ कश्मीरी लाल चावला
{20}
खड़ी फसल
मन मोहित करे
खुशी असल ।
□ श्रवण चोरनेले "श्रवण"
{21}
स्वेद की स्याही
श्रम का महाकाव्य
रचे किसान ।
□ डाॅ. सुरंगमा यादव
{22}
रोता किसान
हरजाई मौसम
बदले रंग ।
□ स्नेहलता "स्नेह"
{23}
नई फसल
किंकर्तव्यविमूढ़
कृषि निर्जल ।
□ शेख़ शहज़ाद उस्मानी
{24}
रजत वर्षा
भू से उपजा स्वर्ण
कृषक हर्षा ।
□ ऋतुराज दवे
{25}
जाड़े में गाँव
अलसाया सूरज
धुएँ में नाव ।
□ सुशील कुमार शर्मा
{26}
प्रखर भानु
विश्व है विभूषित
नत जगत ।
□ पूर्णिमा सरोज
{27}
होगा सवेरा
हटा कर अंधेरा
रवि का फेरा ।
□ पद्ममुख पंडा
{28}
सर्द मौसम
सुमन पे बिखरे
ओस के मोती ।
□ सविता बरई "वीणा"
{29}
मौसम सर्द
छोड़ गया है सिर्फ़
दर्द ही दर्द ।
□ सूर्यनारायण गुप्त "सूर्य"
{30}
सर्दी की शाम
अलाव जला तापें
दादा अकेले ।
□ मंजू शर्मा
{31}
सर्द मौसम
ले रहा अंगड़ाई
रजाई ओट ।
□ किरण मिश्रा "स्वयंसिद्धा"
{32}
करवट ली
मौसम ने, देखो न
छाई बदली ।
□ दीपाली ठाकुर
{33}
शहरोन्नति
दूब का मोल पूछे
कन्या का पिता ।
□ विभा रानी श्रीवास्तव
{34}
सावन-मन
शब्द हथेली पर
रचें हाइकु ।
□ नरेंद्र श्रीवास्तव
{35}
काव्य के वन
महकते हाइकु
चंदन बन ।
□ अभिषेक जैन
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प्रस्तुति : ----
संचालक : हाइकु मञ्जूषा
□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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