हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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बुधवार, 21 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री डॉ. सुरंगमा यादव जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

डाॅ. सुरंगमा यादव

हाइकु 


1)
खुशी विहग
पंख फड़फड़ाये
पल में उड़े ।

2)
वक्त का पंछी
पल में चुग गया
खुशी के दाने ।

3)
ढूँढे न मिली
संग कोई सहेली
हवा अकेली ।

4)
मन का नीड़
तिनके जो बिखरे
नहीं सिमटे ।

5)
मन मसोसे
प्यासे खेत कहते
मेघ क्यों रूठे !

6)
सींच रही मैं 
मन की मरु भूमि
अश्रु जल से ।

7)
बेटा न आया
अश्रु नैन में जमे
मोतिया बन ।

□ डाॅ. सुरंगमा यादव

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