हाइकु कवयित्री
डाॅ. सुरंगमा यादव
हाइकु
1)
खुशी विहग
पंख फड़फड़ाये
पल में उड़े ।
2)
वक्त का पंछी
पल में चुग गया
खुशी के दाने ।
3)
ढूँढे न मिली
संग कोई सहेली
हवा अकेली ।
4)
मन का नीड़
तिनके जो बिखरे
नहीं सिमटे ।
5)
मन मसोसे
प्यासे खेत कहते
मेघ क्यों रूठे !
6)
सींच रही मैं
मन की मरु भूमि
अश्रु जल से ।
7)
बेटा न आया
अश्रु नैन में जमे
मोतिया बन ।
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