हाइकु कवयित्री
रति चौबे
हाइकु
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पुष्प पुकारे
रूठती तितलियाँ
पुष्प रूआँसा ।
बेटी के सुर
थिरकते कदम
महके घर ।
रात चाँद से
बातें करती रही
रवि नाराज ।
"तेल" माध्यम
"बाती" है जरुरत
"दीप" सहारा ।
हिमालय है
हिम से आच्छादित
शिव आलय ।
रवि तुझे छू
जो पुरवाई आई
ऊर्जित हुई ।
नारी नाविक
घर नैय्या चले ना
वही खिवैय्या ।
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