हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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सोमवार, 5 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री धनेश्वरी देवांगन "धरा" जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

धनेश्वरी देवांगन "धरा"

हाइकु 


[1]
जीवन  रेखा
अनबुझ   पहेली
कर्म  साधना ।

[ 2 ]
ममतामयी
जग में माँ का रूप
स्नेही आँचल ।

[ 3 ]
ओस के मोती
जीवन के सदृश
क्षण भंगुर ।

[ 4  ]
सत्य का दीप
रोशन चहूँ ओर
चित्त की जीत ।

[ 5 ]
श्रमिक व्यथा
भूख गरीबी साथ
कर्मठ हाथ ।

[ 6 ]
गौरैया बैठी 
छत के मुंडेर पे 
बरसों बीते ।

[ 7 ]
मार्गदर्शक
बना अनुरक्षक
सच्चा शिक्षक ।

[ 8 ]
देश की रक्षा 
भारत का सपूत
कर्तव्यनिष्ठ ।

[ 9 ]
जल की बूँदें
संरक्षण कर्त्तव्य
न बहे व्यर्थ ।
     
[ 10 ]
मेह का नेह 
बूँदों की रिमझिम
हर्षित धरा ।

□  धनेश्वरी देवांगन "धरा"
रायगढ़ ( छत्तीसगढ़ )

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