हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शनिवार, 3 अगस्त 2019

हाइकु : मधु सिंघी


हाइकु कवयित्री 

मधु सिंघी

हाइकु 


शब्द विराम
मौन क्षमतावान
हो जाते काम ।

काल है गति
चलना संयमित
सही हो मति ।

सुख के लम्हे
आते सबके साथ 
बिना दस्तक ।

सुस्ताई हुई
पत्तों की आगोश में
ओस की बूँदें ।
    
आपदा झेल
काँटों के संग खेल
जैसे गुलाब  ।
  
अनवरत
अहंकार जागृत
करे भ्रमित ।

कड़वा सच
उतरे नहीं गले
रिश्ता ना चले ।

रवि कमाल
घर-घर जाकर
पूछता हाल ।
  
ताल दे मेघ
बिजली करे नृत्य
सावनी-गीत ।

हों नेक कर्म
बचे मानव धर्म
जीवन मर्म ।

□ मधु सिंघी 

नागपुर (महाराष्ट्र)

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