हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शनिवार, 3 अगस्त 2019

हाइकु : हेमलता मिश्र


हाइकु कवयित्री 

हेमलता मिश्र "मानवी"

हाइकु 


सावन बूँद
आंचल थाम धरा
होती गर्वीली ।

दीवारें रोतीं
छतें भी बिलखतीं
देहरी भीगीं ।

कोठी खिली सी
झोपडी थर्रा रही
मकान दुखी ।

सड़कें सूनी
दीन बने गठरी
सिर्फ़ कटोरी ।

जलप्लावन
हर ओर गमन
डराता मन ।

□ हेमलता मिश्र "मानवी"

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