नवोदित हाइकु कवयित्री
कु. गीतांजली सुपकार
हाइकु
1.
भोर का पंछी
उड़ चला नभ में
भविष्य स्पष्ट ।
2.
भीगे नयन
खुद से जी चुराये
ये चितवन ।
3.
बापू का स्वप्न
मिल रहा माटी में
सत्य बेबस ।
4.
नन्ही सी जान
माता की कोख से ही
वो अनजान ।
5.
घर की लक्ष्मी
आँगन की तुलसी
होती है बेटी ।
6.
हिन्द की देन
धरती का ये स्वर्ग
हमारा गर्व ।
7.
अनजान हूँ
माँ तेरी ममता से
चाह इसी की ।
8.
साथ दे मुझे
आशियाना हो मेरा
श्रेय तुम्हारा ।
9.
बहती धारा
देती सीख निराली
आगे बढ़ना ।
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