हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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रविवार, 4 अगस्त 2019

नवोदित हाइकु कवयित्री कु. गीतांजली सुपकार


नवोदित हाइकु कवयित्री 

कु. गीतांजली सुपकार

हाइकु


1.
भोर का पंछी
उड़ चला नभ में
भविष्य स्पष्ट ।

2.
भीगे नयन
खुद से जी चुराये
ये चितवन ।

3.
बापू का स्वप्न 
मिल रहा माटी में
सत्य बेबस ।

4.
नन्ही सी जान
माता की कोख से ही
वो अनजान ।

5.
घर की लक्ष्मी
आँगन की तुलसी
होती है बेटी ।

6.
हिन्द की देन
धरती का ये स्वर्ग
हमारा गर्व ।

7. 
अनजान हूँ
माँ तेरी ममता से
चाह इसी की ।

8. 
साथ दे मुझे
आशियाना हो मेरा
श्रेय तुम्हारा ।

9.
बहती धारा
देती सीख निराली
आगे बढ़ना ।

□ कु. गीतांजली सुपकार

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