हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

रविवार, 4 अगस्त 2019

हाइकुकार निमाई प्रधान "क्षितिज" जी के हाइकु

हाइकुकार

निमाई प्रधान "क्षितिज"

हाइकु 

[1]
मेरा एकांत 
सहचर-सर्जक 
उर्वर प्रांत ।

[2]
दूर दिनांत
तरु-तल-पसरा 
मृदु एकांत ।

[3]
वो एकांतघ्न 
वातायन-भ्रमर 
न रहे शांत ।

[4]
दिव्य-उजास
शतदल कमल 
एकांतवास ।

[5]
एकांत सखा
जागृत कुंडलिनी 
प्रसृत विभा ।

[6] 
हे रघुवीर !
मन के रावण का 
करो संहार ।

[7]
सदियाँ बीतीं 
वहीं की वहीं टिकीं 
विद्रूपताएँ ।

[8]
वक़्त की मांग 
हो कृषक-विमर्श
लीक को लांघ ।

[9]
दुःखी किसान
सूखे खेत हैं सारे
चिंता-वितान ।

[10]
जय किसान 
न करो अनदेखा
काला विहान ।

[11]
कृषक रुष्ट
बचा आख़िरी रास्ता 
क्रांति का रुख़ ।

[12]
प्रकृति-मित्र
सब भूले तुमको
बड़ा विचित्र ।

[13]
है अन्नदाता
वह है जगदीश
वही विधाता ।

[14]
बंजर भूमि
फसल कहाँ से हो ?
हारा है वह ।

[15]
आँखों में ख्व़ाब
फसल पक रहे
ब्याज तेज़ाब!!
~ • ~

□  निमाई प्रधान 'क्षितिज'

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