हाइकुकार
तुकाराम पुंडलिकराव खिल्लारे
हाइकु
शीत लहर
पत्ते ओढ़ बैठी हैं
धूल पथ की ।
* * *
जलता नल
धूप में हैं मक्खियाँ
पानी चूसती ।
* * *
पतझर में
भ्रमर राग सूना
वृक्ष का रोना ।
* * *
रोते बच्चे ने
स्वर पंछी का सूना
फूटा हँसना ।
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वन ढूंढते
मोर गाँव में आया
खिन्न मोरनी ।
* * *
धो धो रो रहा
इतना धनी होते
बच्चों ने मारा
* * *
उल्लसित मैं
पास सरक बैठें
सपने मीठे ।
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पूरी हयात
घूँघट का कफ़न
खरीदी गाय ।
* * *
नदी में अब
पत्थर ही पत्थर
पंछी के पर ।
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