हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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रविवार, 4 अगस्त 2019

हाइकुकार गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक" जी के हाइकु


हाइकुकार

गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"

हाइकु 


पतनोन्मुखी
धर्म की राजनीति
मूकदर्शक ।

मरणोन्मुख
राजनीति का धर्म
मूल्यहीनता ।

मौकापरस्त
धोखे में सिद्धहस्त
जनता पस्त ।

देश पहले
यही उत्कृष्ट धर्म
धरा का कर्ज ।

घाव गहरा
माता पिता उपेक्षा
सदमा लगा ।

तपता सूर्य
निढाल मजदूर
पैरों में छाले ।

सत्य अकेला
लड़ता असत्य से
देखो तमाशा ।

सेंकते रोटी
मजहब की भट्ठी
देश के नेता ।

लंपट योग
दूध के धुले लोग
करते भोग ।

संवाद हीन
अपराध संगीन
मानव मीन ।

कथनी भिन्न
कर्म छिन्न विछिन्न
भाषायी जिन्न ।

बिकता कवि
डूबता हुआ रवि
धूमिल छवि ।

पीड़िता मृत
संबन्धी आतंकित
न्याय लंबित ।

□ गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"

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