हाइकु कवयित्री
ऋता शेखर "मधु"
हाइकु
1.
श्रीराम स्पर्श
हल्के हुए पाषाण
सेतु निर्माण ।
2.
सुगढ़ हाथ
तराश की बारीकी
मुखर शिला ।
3.
पानी ने खींचा
शिला पर निशान
भाव तरल ।
4.
शीशे का घर
पत्थर ने तोड़ दिया
एक गह्वर ।
5.
दृढ़ पाषाण
भगीरथ बनाते
गंगा की राह ।
6.
आस मधुर
पाहन से झाँकता
नन्हा अँकुर ।
7.
टूटा गुल्लक
खनखनाते सिक्के
रामू की खुशी ।
8.
ट्रक से गिरीं
गिट्टियाँ तोड़ रहीं
रात्रि का मौन ।
9.
खिलते फूल
गुनगुनाते अलि
आया बसंत ।
10.
श्रावण माह
नाचे मन का मोर
हवा में शोर ।
11.
बन्द कमरे
मुसलाधार वर्षा
शोर ले आई ।
12.
ढोलक बजी
नजरों में समाए
अनाथ बच्चे ।
13.
कहते व्यथा
पतझर के पत्ते
बहरे लोग ।
14.
वर्षा ऋतु में
चीख रहे झींगुर
आदमी मौन ।
15.
भरे पोखर
टर्र टर्र करते
मोटे मेंढक ।
16.
घर अँगना
खनखन कँगना
नवदुल्हन ।
~ • ~
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें