हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

शनिवार, 24 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री ऋता शेखर "मधु" जी के हाइकु


हाइकु कवयित्री 

ऋता शेखर "मधु"

हाइकु 


1.
श्रीराम स्पर्श
हल्के हुए पाषाण
सेतु निर्माण ।

2.
सुगढ़ हाथ
तराश की बारीकी
मुखर शिला ।

3.
पानी ने खींचा
शिला पर निशान
भाव तरल ।

4.
शीशे का घर
पत्थर ने तोड़ दिया
एक गह्वर ।

5.
दृढ़ पाषाण
भगीरथ बनाते
गंगा की राह ।

6.
आस मधुर
पाहन से झाँकता
नन्हा अँकुर ।

7.
टूटा गुल्लक
खनखनाते सिक्के
रामू की खुशी ।

8.
ट्रक से गिरीं
गिट्टियाँ तोड़ रहीं
रात्रि का मौन ।

9.
खिलते फूल
गुनगुनाते अलि
आया बसंत ।

10.
श्रावण माह
नाचे मन का मोर
हवा में शोर ।

11.
बन्द कमरे
मुसलाधार वर्षा
शोर ले आई ।

12.
ढोलक बजी
नजरों में समाए
अनाथ बच्चे ।

13.
कहते व्यथा
पतझर के पत्ते
बहरे लोग ।

14.
वर्षा ऋतु में
चीख रहे झींगुर
आदमी मौन ।

15.
भरे पोखर
टर्र टर्र करते
मोटे मेंढक ।

16.
घर अँगना
खनखन कँगना
नवदुल्हन ।
~ • ~

□  ऋता शेखर "मधु"

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