हाइकुकार
डाॅ. राजीव गोयल
हाइकु
1.
दीप जो जला
जान बचाने तम
पैरों में गिरा ।
2.
हवा जो चली
बाँस के हृदय में
बजी बाँसुरी ।
3.
3.
रवि जुलाहा
किरणों के धागे से
बुने उजाला ।
किरणों के धागे से
बुने उजाला ।
4.
देख सूरज
हुए शर्म से लाल
भोर के गाल ।
5.
सपने बुने
निंदिया जुलाहिन
पलकों तले ।
6.
पंछी जुलाहा
ले तिनके बुनता
नीड़ की काया ।
7.
लौटे परिंदे
फिर चैन से सोया
बूढ़ा पीपल ।
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