हाइकु कवयित्री
मधु गुप्ता "महक"
हाइकु
जीवन मृत्यु
सांसारिक भँवर
जिओ जी भर ।
जीवन सुक्ति
साधना जन सेवा
सुखानुभूति ।
खिला चेहरा
ज्यों सुनहरी धूप
बेटी का रूप ।
हल तैयार
कृषक बेकरार
वर्षा की आस ।
कौंधी बिजली
गरजता बादल
यादें पिया की ।
सावन आए
परदेशी सजना
याद सताए ।
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