हाइकुकार
श्रवण चोरनेले "श्रवण"
हाइकु
~ १ ~
फूल झड़ते
वृक्ष व्यथित नहीं
सृजन करे ।
~ २ ~
प्रीत ज़िंदगी
नारी शक्ति नमन
नित बंदगी ।
~ ३ ~
घर चहके
दुहिता बन कर
मन महके ।
~ ४ ~
रूप अनेक
दुःख दर्द दिलासा
नारी विवेक ।
~ ५ ~
कद बढते
विश्व पटल पर
नारी दमके ।
~ ६ ~
हुए कुर्बान
नमन शहादत
मिले सम्मान ।
~ ७ ~
शब्द कोष में
मौन रहकर भी
रहे होश में ।
~ ८ ~
बरखा रानी
ज़रा बरस कर
लाओ रवानी ।
~ ९ ~
कठिन श्रम
खुद को पहचानो
दुनिया भ्रम ।
~ १० ~
निकले रोज
सार्थकता की खोज
लेकर ओज ।
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