हाइकु कवयित्री
रंजना सिन्हा "सैराहा"
हाइकु
1.
पाषाण फोड़
मंजिल बनी धुन
सरिता चली ।
2.
हरसिंगार
पग उषा किरण
पुष्प अर्चन ।
3.
सूर्य किरण
अलोकिक बंधन
उषा के संग ।
4.
पल्लव प्रेम
कलियां कुसुम की
गुदगुदाएं ।
5.
सुबह संझा
धूप छांव की रेकी
धरा ने देखी ।
6.
मृत्तिका शिल्प
कुम्भकार का आंवां
आकृति रची ।
7.
पर्यावरण
खिलाफत पवन
धरा दोहन ।
8.
सुबह संझा
धूप छांव की रेकी
धरा ने देखी ।
9.
बयार गाये
पल्लव सरगम
बहार राग ।
10.
मन की माटी
महके देशांतर
भाव अंकुर ।
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□ रंजना सिन्हा "सैराहा"
बांदा (उ.प्र.)
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