हाइकुकार
गंगा प्रसाद पाण्डेय "भावुक"
हाइकु
पीपल छाँव
डेरा पहलवान
लाल लंगोट ।
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वट की छाया
पथिक को आराम
चहके पक्षी ।
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आँचल माँ का
ममता भरी छांव
सुख की नांव ।
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पिता का साया
प्रगति का सोपान
अमृत पान ।
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अंधेरा घना
गायब परछाई
बुरे हों कर्म ।
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झुकी कमर
लाठी एक सहारा
ढूंढे जवानी ।
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□ गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"
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