हाइकु कवयित्री
डाॅ. सुरंगमा यादव
हाइकु
सूर्य से आस
बेटा-बेटी घर में
करें उजास ।
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जीवन भोर
बनकर छायी है
मधु यामिनी ।
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बीते बरसों
अथक उड़ रहे
यादों के पाखी ।
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मन में सोयी
जाग उठी स्वप्न में
याद पुरानी ।
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दुःखद स्मृति
मन सुमन पर
तुषारापात ।
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□ सुरंगमा यादव
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