SEDOKA 旋頭歌 सेदोका (खुश्बू, गंध, महक)
SEDOKA 旋頭歌 सेदोका
01 दिसम्बर 2019
वर्ण क्रम - 05/07/07/-05/07/07
विषय - खुश्बू , गंध, महक
उत्कृष्ट रचनाएँ
01.
बहका मन
जी नहीं पाया मृग
ढूँढे कस्तूरी गंध
ईश अनंत
ईश अनंत
बसे हैं कुण्डली में
उसे बताये कौन ?
--00--
□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
02.
महक फैली
फूले बेला चमेली
खुशियों की सहेली
आओ सजाएं
पेड़ पौधे लगाएं
प्रदूषण भगाएं ।
--00--
□ गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"
03.
पुरवा झोंके
सुगन्धित बयार
प्रफुल्लित हृदय
बाग के बाग
मञ्जरी की महक
कोयल मीठी कूक ।
--00--
□ मनीष कुमार श्रीवास्तव
04.
महक उठी
फ़िज़ा तेरे आने से
खिल गया चमन
खुशबू फैली
तेरे बदन से यूं
महका गुलशन ।
--00--
□ ए.ए.लूका
05.
ऋतु बसन्त
प्रकृति ने ओढ़ ली
पीली चुनर जैसे
बहकी हवा
मस्त होके डोलती
महक रही साँसें ।
--00--
□ डाॅ. पुष्पा सिंह "प्रेरणा"
06.
सोंधी महक
चंदन सम मिट्टी
अपने वतन की
देश भारत
जगत में महान
हम सबकी जान ।
--00--
□ मधु गुप्ता "महक"
07.
सोंधी खुशबू
मिट्टी लिपटे हाथ
बनाते थे घरौंदे
बचपन में
दीपक भी सजाते
बहुत खुशी पाते ।
--00--
□ स्वाति गुप्ता "नीरव"
08.
कौतूहल से
देखे चहुं दिशाएं
महक मन बसे
मृगशावक
अपने दृग फाड़
मृगतृष्णा का जाल ।
--00--
□ शर्मिला चौहान
09.
धूप-चंदन
सुगंधित वलय
ईश्वर का आलय
धूम्ररेखाएँ
महका परिसर
गूँजे भक्ति के स्वर ।
--00--
□ सुधा राठौर
10.
मन महका
तो आनंद छलका
बज उठे मृदंग
हर्ष के संग
बरसे नव रंग
है प्रताप भक्ति का ।
--00--
□ डाॅ. संजीव नाईक
11.
उर झंकृत
तन है पुलकित
सेदोका सुरभित
जन गर्वित
तृण-तृण हर्षित
प्रकाश निर्झरित ।
--00--
□ अयाज़ ख़ान
12.
मेहंदी पांव
साजन का आंगन
पायल की झनक
महक उठी
मन रूपी बगिया
सजी है दुल्हनिया ।
--00--
□ अरूणा साहू
13.
महके मन
सुरभित सुमन
तन मन चंचल
ऋतु वसंत
महकता चमन
बिखेरता पवन ।
--00--
□ वृंदा पंचभाई
14.
घनी रात में
महकी रातरानी
खिल उठा मोगरा
महक गया
अपना भी आँगन
प्रसन्न अंतर्मन ।
--00--
□ डॉ. रंजना वर्मा
12.
मेहंदी पांव
साजन का आंगन
पायल की झनक
महक उठी
मन रूपी बगिया
सजी है दुल्हनिया ।
--00--
□ अरूणा साहू
13.
महके मन
सुरभित सुमन
तन मन चंचल
ऋतु वसंत
महकता चमन
बिखेरता पवन ।
--00--
□ वृंदा पंचभाई
14.
घनी रात में
महकी रातरानी
खिल उठा मोगरा
महक गया
अपना भी आँगन
प्रसन्न अंतर्मन ।
--00--
□ डॉ. रंजना वर्मा
15.
भावना फूल
एहसास डाली पे
शब्द बनके खिला
काव्य महका
जज्बात थिरकन
संगीत का सृजन ।
□ पूर्णिमा साह
भावना फूल
एहसास डाली पे
शब्द बनके खिला
काव्य महका
जज्बात थिरकन
संगीत का सृजन ।
□ पूर्णिमा साह
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प्रस्तुति
प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
संचालक : सेदोका की सुगंध
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