हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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रविवार, 1 दिसंबर 2019

SEDOKA 旋頭歌 सेदोका (खुश्बू, गंध, महक)

SEDOKA 旋頭歌 सेदोका (खुश्बू, गंध, महक)

SEDOKA  旋頭歌   सेदोका 


01 दिसम्बर 2019

वर्ण क्रम  - 05/07/07/-05/07/07

विषय - खुश्बू , गंध, महक


उत्कृष्ट रचनाएँ 

01.
बहका मन
जी नहीं पाया मृग
ढूँढे कस्तूरी गंध
ईश अनंत 
बसे हैं कुण्डली में 
उसे बताये कौन ?
--00--

□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

02.
महक फैली
फूले बेला चमेली
खुशियों की सहेली
आओ सजाएं
पेड़ पौधे लगाएं
प्रदूषण भगाएं ।
--00--

□ गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"

03.
पुरवा झोंके
सुगन्धित बयार
प्रफुल्लित हृदय
बाग के बाग
मञ्जरी की महक
कोयल मीठी कूक ।
--00--

□ मनीष कुमार श्रीवास्तव

04.
महक उठी
फ़िज़ा तेरे आने से
खिल गया चमन
खुशबू फैली
तेरे बदन से यूं
महका गुलशन ।
--00--

□ ए.ए.लूका

05.
ऋतु बसन्त
प्रकृति ने ओढ़ ली
पीली चुनर जैसे
बहकी हवा
मस्त होके डोलती
महक रही साँसें ।
--00--

□ डाॅ. पुष्पा सिंह "प्रेरणा"

06.
सोंधी महक
चंदन सम मिट्टी
अपने वतन की
देश भारत
जगत में महान
हम सबकी जान ।
--00--

□ मधु गुप्ता "महक"

07.
सोंधी खुशबू
मिट्टी लिपटे हाथ
बनाते थे घरौंदे
बचपन में
दीपक भी सजाते
बहुत खुशी पाते ।
--00--

□ स्वाति गुप्ता "नीरव"

08.
कौतूहल से
देखे चहुं दिशाएं
महक मन बसे
मृगशावक
अपने दृग फाड़
मृगतृष्णा का जाल ।
--00--

□ शर्मिला चौहान

09.
धूप-चंदन
सुगंधित वलय
ईश्वर का आलय
धूम्ररेखाएँ
महका परिसर
गूँजे भक्ति के स्वर ।
--00--

□ सुधा राठौर

10.
मन महका
तो आनंद छलका
बज उठे मृदंग
हर्ष के संग
बरसे नव रंग
है प्रताप भक्ति का ।
--00--

□ डाॅ. संजीव नाईक

11.
उर झंकृत
तन है पुलकित
सेदोका सुरभित
जन गर्वित
तृण-तृण हर्षित
प्रकाश निर्झरित ।
--00--

□ अयाज़ ख़ान

12.
मेहंदी पांव 
साजन का आंगन 
पायल की झनक 
महक उठी 
मन रूपी बगिया 
सजी है दुल्हनिया ।
--00--

□ अरूणा साहू

13.
महके मन
सुरभित सुमन 
तन मन चंचल 
ऋतु वसंत 
महकता चमन
बिखेरता  पवन ।
--00--

□ वृंदा पंचभाई

14.
घनी रात में
महकी रातरानी
खिल उठा मोगरा
महक गया
अपना भी आँगन
प्रसन्न अंतर्मन ।
--00--


□ डॉ. रंजना वर्मा

15.
भावना फूल
एहसास डाली पे
शब्द बनके खिला
काव्य महका
जज्बात थिरकन
संगीत का सृजन ।

□ पूर्णिमा साह

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प्रस्तुति 
प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
संचालक : सेदोका की सुगंध 

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