हाइकुकार
भवानी शंकर "तोसिक"
हाइकु
--0--
1.
चंद्र रश्मियां
धरा को निहारती
नहीं हारती ।
2.
शब्दों का काटा
घाव न कभी भरा
ताउम्र हरा ।
3.
होठों पर हँसी
मन में है कटुता
सजा मुखौटा ।
4.
सुन के रोती
पहली किलकारी
नारी माँ प्यारी ।
5.
भीतर मन
कबीर जैसा पाया
मैं मुस्कुराया ।
6.
कोमल कंधे
बस्ते का बोझ भारी
व्यवस्था हारी ।
7.
रोजी न मिली
बच्चे भूखे सो गए
स्वप्न खो गए ।
8.
अग्नि परीक्षा
मंदिरों के देश में
नारी ही हारी ।
9.
उदय हेतु
डूबना पड़ता है
सूरज को भी ।
--00--
- भवानी शंकर "तोसिक"
आदर्श कॉलोनी, पीसांगन,
जिला अजमेर (राजस्थान )
पिन - 305204
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