हाइकु कवयित्री
सुधा राठौर
हाइकु
--0--
1.
सुख के पल
ढूँढते हैं बाहर
स्व के भीतर ।
2.
क्यों हो क़ातर
लगन से पढ़िए
ढाई आखर ।
3.
दुख का रेला
मिला किनारे पर
सुख का मेला ।
4.
बाक़ी है दम
हौसला पुरजोर
फिर क्या ग़म ।
5.
तम गहन
होने को है सबेरा
सूर्य का फेरा ।
6.
निराशा क्यों है
जीते जी मर जाना
तमाशा क्यों है ।
7.
लिखी जितनी
तक़दीर में उम्र
मिले उतनी ।
8.
स्व की सुरक्षा
हमारी ज़िम्मेदारी
छोड़ें न कक्षा ।
9.
हार न मान
बहुत है आसान
हित संज्ञान ।
10.
हास्य मलय
अंतस सुवासित
सुख निलय ।
--00--
~ सुधा राठौर
नागपुर (महाराष्ट्र)
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