हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

बुधवार, 12 मई 2021

~ हाइकु कवयित्री निवेदिता श्रीवास्तव जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री 

निवेदिता श्रीवास्तव 


हाइकु 


1)

बुझी है आग 

कोयला बन गाए 

खाना पकाए । 


2)

गर्दन रेती 

कलमा याद न था

हैवानियत ! 


3)

सिमटा मन

दरकता आसमाँ 

घर जाना है ।


4)

क्या लिखूं उसे

जिसने लिखा मुझे

अथ से इति ।


5.

मैं और मेरा

पानी का बुलबुला 

क्षणिक डेरा ।


6.

कहती है माँ 

आज जो अमावस

कल पूर्णिमा ।


7.

मधुमालती

दवाई की दुकान

घर में खुली ।


  8.

सुखी संसार

बने अच्छे संस्कार 

दृढ़ आधार ।

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□  निवेदिता श्रीवास्तव 

विपुल खण्ड, गोमती नगर

लखनऊ (उ.प्र.)

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