हाइकु कवयित्री
शुचिता राठी
हाइकु
--0--
1)
रश्मि कनक
उतरती धरा पे
लिए खनक ।
2)
पूर्वा सुहानी
पूरब का सूरज
लिखे कहानी ।
3)
चाँद न तन्हा
साथ रात के संग
तारों का मेला ।
4)
पत्ता जो गिरा
खरगोश समझा
आसमाँ गिरा ।
5)
शैशव काल
भोर है भोली-भाली
कोमल लाली ।
6)
रात की पारी
सूर्यास्त के बाद में
दीये की बारी ।
7)
रुकना चाहे
जंगल में कोयल
कूकना चाहे ।
8)
हाथ में फाले
पर, मोची हर ले
पाँव के छाले ।
9)
दूधिया भोर
धुंध से झाँका रवि
चमकी कोर ।
10)
हवा महकी
महुवाई गंध से
कुछ बहकी ।
11)
जिस घर में
बिटिया है चहके
सदा महके ।
12)
पूरी थाली को
भरता है स्वाद से
पत्नी का हाथ ।
13)
छूने न देती
दर्द का अहसास
माँ रोक लेती ।
14)
होली का रंग
चुलबुली नजरें
फाग उमंग ।
15)
आई बहार
डेरे हो गए नीड़
लौटी है भीड़ ।
16)
गूंजे संगीत
गीत गाते पत्थर
प्रेम असर ।
17)
रख विश्वास
भर जाएगा ताल
बुझेगी प्यास ।
18)
खो रहा धीर
पलकें न रोकना
आँखों का नीर ।
19)
भरे तालाब
बारिश की झड़ी से
उमड़े ख्वाब ।
20)
पनपे बीज
हवा, पानी, चिड़िया
बने जरिया ।
21)
ज्वार भाटा का
जीवन है सफर
अमा पूनो का ।
---00---
□ शुचिता राठी
छिंदवाड़ा (म.प्र.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें