हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

गुरुवार, 13 मई 2021

~•~ हाइकु कवयित्री शुचिता राठी जी के हाइकु ~•~

हाइकु कवयित्री 

शुचिता राठी 


हाइकु 

--0--


1)

रश्मि कनक

उतरती धरा पे

लिए खनक । 


2)

पूर्वा सुहानी 

पूरब का सूरज

लिखे कहानी ।


3)

चाँद न तन्हा 

साथ रात के संग 

तारों का मेला ।


4) 

पत्ता जो गिरा 

खरगोश समझा 

आसमाँ गिरा ।


5)

शैशव काल

भोर है भोली-भाली

कोमल लाली ।


6)

रात की पारी

सूर्यास्त के बाद में 

दीये की बारी ।


7)

रुकना चाहे

जंगल में कोयल

कूकना चाहे ।


8)

हाथ में फाले 

पर, मोची हर ले

पाँव के छाले ।


9)

दूधिया भोर 

धुंध से झाँका रवि 

चमकी कोर ।


10)

हवा महकी

महुवाई गंध से 

कुछ बहकी ।


11)

जिस घर में 

बिटिया है चहके

सदा महके । 


12)

पूरी थाली को

भरता है स्वाद से

पत्नी का हाथ ।


13)

छूने न देती

दर्द का अहसास

माँ रोक लेती ।


14)

होली का रंग

चुलबुली नजरें 

फाग उमंग ।


15)

आई बहार

डेरे हो गए नीड़ 

लौटी है भीड़ ।


16)

गूंजे संगीत 

गीत गाते पत्थर 

प्रेम असर ।


17)

रख विश्वास 

भर जाएगा ताल

बुझेगी प्यास ।


18)

खो रहा धीर

पलकें न रोकना

आँखों का नीर ।


19)

भरे तालाब

बारिश की झड़ी से

उमड़े ख्वाब ।


20)

पनपे बीज

हवा, पानी, चिड़िया 

बने जरिया ।


21)

ज्वार भाटा का

जीवन है सफर

अमा पूनो का ।

---00---


□ शुचिता राठी

छिंदवाड़ा (म.प्र.)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

MOST POPULAR POST IN MONTH