हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

शुक्रवार, 14 मई 2021

हाइकु कवयित्री स्व. डॉ. करुणा उमरे जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

स्व. डॉ. करुणा उमरे 

हाइकु 

--0--


1)

समय साथ

खो गया यहीं कहीं 

खुद के पास ।


2)

जल तरंगें 

अनुसरण करतीं 

मन उमंगें ।


3)

फूल सी हवा

भीतर खोजती हूँ 

सुबह शाम ।


4)

चाँद छवि में 

देखी तस्वीर तेरी

ये आँख मेरी ।


5)

मौसम आए

आँखों की पुतली में 

गुलाब छाए ।


6)

रंग सिन्दूर 

चुनरिया के रंग

पिया का नूर ।


7)

साँझ शेष है

अभी भय जिंदा है 

राशि मेष है ।


8)

पल में रेत

ढहे घरौंदा जब

देता है खेद ।


9)

जिंदा है पत्ता 

पुकार रही कुर्सी 

नेता की सत्ता ।


10)

धर्म नहीं है

समय को गिनना

किंतु तौलना ।


11)

सखा वसंत 

मन कुहासा छँटा 

दुखों का अंत । 

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□ डाॅ. करुणा उमरे 

जयप्रकाश नगर, नागपुर 

(महाराष्ट्र)

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