हाइकु कवयित्री
स्वाति गुप्ता "नीरव"
हाइकु
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मिट्टी का घर
तपती दोपहर
शीतल मन ।
शीतल धरा
गर्मी की तपिश को
खुद समाये ।
शीतल धरा
देती बिछोना बन
सुकूं के नींद ।
तूफानी रात
बचा दे हे मालिक
तृण घरोंदा ।
नदी का तट
देख तैरते लाश
हृदय शूल ।
नीला आकाश
अदृश्यता है वास
जीवन आश ।
अंतर्मन में
सिर्फ आकाश तत्व
जीवंत रखे ।
आम्र दरख़्त
फलों से लदी डाली
धरा को चूमे ।
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□ स्वाति गुप्ता "नीरव"
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