हाइकु कवयित्री
सन्तोष खन्ना
हाइकु
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1)
गुलाब जो है
सुगंध बिखेरता
सभी के लिये ।
2)
मौत का सत्य
शरीर है नश्वर
आत्मा अमर ।
3)
माने न मन
जाना है एक दिन
कैसे हैं हम ।
4)
मन की गांठे
जब पड़ती जाती
नहीं खुलती ।
5)
लगती प्यारी
खेतों खड़ी फसल
श्रम है भारी ।
6)
मंत्र एकता
सिर चढ़ा दूराव
डूबेगी नाव ।
7)
भारत मेरा
उदात्त हो कविता
प्राची सविता ।
8)
विश्वास ह्रास
रिसता टूटा घट
प्यास से त्रास ।
9)
भाव साकार
जिजीविषा आधार
खुशी अपार ।
10)
अक्षर शिव
अर्थ शक्ति माँ गौरी
मानव लोरी ।
11)
तनाव जमा
चेहरों की चौखट
बिके बेमोल ।
12)
लगी है होड़
बने गाँव शहर
पीने ज़हर ।
13)
जल जरुरी
मिले साथ पवन
सबको अन्न ।
14)
भागा अंधेरा
जब सूर्य ने घेरा
फैला प्रकाश ।
15)
छवि निहार
हुआ सूर्य निहाल
खुश तालाब ।
16)
कैक्टस उगा
खिले फूल को चुभा
फूल न झुका।
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□ सन्तोष खन्ना
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