हाइकुकार
डॉ. ललित फरक्या "पार्थ"
हाइकु
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1)
माँ की ममता
होती है अनमोल
कर ना तौल ।
2)
कैसा कहर ?
साँसें जाती ठहर
घुला जहर ।
3)
है मजबूरी
आओ बना लें दूरी
साँस ज़रुरी ।
4)
व्यथित मन
फैल रहा रुदन
त्रस्त जीवन ।
5)
गमों से फैली
आँसुओं की चाशनी
ख़ुशी काफूर ।
6)
बहती हवा
है जो पुरवाई
लगे सुहानी ।
7)
ढलती सांझ
पंछी लौटे बसेरा
मिला सुकून ।
8)
झरे झरने
कल कल करते
बहता आब ।
9)
नेह का भ्रम
दृष्टि हो गई कम
क्या करें हम ?
10)
अटल सत्य
वो आनंद के पल
देंगे सुफल ।
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□ डॉ. ललित फरक्या "पार्थ"
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