हाइकुकार
डाॅ. सागर खादीवाला
हाइकु
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1)
बारिश आई
फिर भी नहीं आई
लंबी जुदाई ।
2)
चाँद निकला
रात ने आह भरी
इसी ने छला ।
3)
रुबरू मैं था
आईना भी मेरा था
अक्स तेरा था ।
4)
प्यास का मारा
सागर में जा डूबा
सूर्य बेचारा ।
5)
क्या होती है माँ
जब तक जानते
जा चुकी थी माँ ।
6)
हल्दी जो चढ़ी
एकाएक हो गयी
छुटकी बड़ी ।
7)
माँ का आँचल
ममता बरसाया
भीगा बादल ।
8)
धागा टूटा था
कठपुतली गिरी
भाग्य फूटा था ।
9)
दोस्त अच्छे थे
तमाम टूट गये
कान कच्चे थे ।
10)
सन्नाटा छाया
जंगल में शायद
आदमी आया ।
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□ डाॅ. सागर खादीवाला
सीताबर्डी, नागपुर (महाराष्ट्र)
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