हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

शनिवार, 15 मई 2021

~•~ हाइकुकार डॉ. सागर खादीवाला जी के हाइकु ~•~

हाइकुकार 

डाॅ. सागर खादीवाला 


हाइकु 

--0--


1)

बारिश आई

फिर भी नहीं आई

लंबी जुदाई ।


2)

चाँद निकला

रात ने आह भरी

इसी ने छला ।


3)

रुबरू मैं था 

आईना भी मेरा था 

अक्स तेरा था ।


4)

प्यास का मारा

सागर में जा डूबा 

सूर्य बेचारा ।


5)

क्या होती है माँ 

जब तक जानते

जा चुकी थी माँ ।


6)

हल्दी जो चढ़ी

एकाएक हो गयी 

छुटकी बड़ी ।


7)

माँ का आँचल 

ममता बरसाया 

भीगा बादल ।


8)

धागा टूटा था

कठपुतली गिरी 

भाग्य फूटा था ।


9)

दोस्त अच्छे थे

तमाम टूट गये

कान कच्चे थे ।


10)

सन्नाटा छाया

जंगल में शायद

आदमी आया ।

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□  डाॅ. सागर खादीवाला

सीताबर्डी, नागपुर (महाराष्ट्र)

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