हाइकु कवयित्री
विद्या चौहान
हाइकु
--0--
माँ
१.
सर पे हाथ
स्नेहिल माँ का स्पर्श
सुखदायी था ।
२.
मीठी सी बोली
सूरत माँ की भोली
सुख की झोली ।
३.
आँचल छाँव
अंबर सा विशाल
माँ बेमिसाल ।
४.
कड़ी है धूप
बन छाया अनूप
माँ सुख रूप ।
५.
दिल की बात
समझती जज़्बात
माँ है निष्णात ।
६.
छोटी दुनिया
बसती है उसमें
माँ की ख़ुशियाँ ।
७.
ठंडी बयार
माँ का प्यार दुलार
देती आधार ।
८.
घर की नींव
कांधे बने फ़ौलाद
माँ बुनियाद ।
९.
संध्या का दीप
एहसास दिलाता
माँ है समीप ।
१०.
करूँ प्रणाम
हे नयनाभिराम
माँ सुखधाम ।
---00---
~ विद्या चौहान
09.5.2021
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