हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

रविवार, 9 मई 2021

हाइकु कवयित्री विद्या चौहान जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

विद्या चौहान 

हाइकु 

--0--

माँ

१.

सर पे हाथ

स्नेहिल माँ का स्पर्श

सुखदायी था ।

    

२.

मीठी सी बोली

सूरत माँ की भोली

सुख की झोली ।

     

३.

आँचल छाँव

अंबर सा विशाल

माँ बेमिसाल ।


४.

कड़ी है धूप

बन छाया अनूप

माँ सुख रूप ।


५.

दिल की बात

समझती जज़्बात

माँ है निष्णात ।


६.

छोटी दुनिया

बसती है उसमें

माँ की ख़ुशियाँ ।


७.

ठंडी बयार

माँ का प्यार दुलार

देती आधार ।


८.

घर की नींव

कांधे बने फ़ौलाद

माँ बुनियाद ।


९.

संध्या का दीप

एहसास दिलाता

माँ है समीप ।


१०.

करूँ प्रणाम

हे नयनाभिराम

माँ सुखधाम ।

---00---


~ विद्या चौहान

   09.5.2021

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