हाइकु कवयित्री
मंजु महिमा
हाइकु
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1.
ग्रीष्म तपन
गुलमोहर हँसे
रक्ताभ ओष्ठ ।
2.
सूरज तपे
सूखे नदिया-नाले
भीगा है तन ।
3.
मानव मन
शुष्क ग्रीष्म सरीखा
करुणा लुप्त ।
4.
विकल मन
तपे तन विरहा
मेहा बुलाए ।
5.
अमलतास
दे रहा अहसास
बसंत जैसा ।
6.
धूप-छाँव की
देखी आँख-मिचौली
छाँव ना मिली ।
7.
ताश के पत्ते
बिछे चादर पर
ग्रीष्म-सौगात ।
8.
गुलमोहर
रोमांचित पाकर
सूर्य उष्णता ।
09.
रसीली ऋतु
लाई फलों के रस
तन शीतल ।
10.
सूर्य दिन में
कितना भी कुपित
शाम को शांत ।
11.
शाम शीतल
चांदनी का चंदोवा
तना धरा पे ।
---00---
□ मंजु महिमा
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