हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

शनिवार, 8 मई 2021

हाइकु कवयित्री मंजु महिमा जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

मंजु महिमा


हाइकु 

--0--


1.

ग्रीष्म तपन

गुलमोहर हँसे

रक्ताभ ओष्ठ ।


2.

सूरज तपे

सूखे नदिया-नाले

भीगा है तन ।


3.

मानव मन

शुष्क ग्रीष्म सरीखा

करुणा लुप्त ।


4.

विकल मन

तपे तन विरहा

मेहा बुलाए ।


5.

अमलतास

दे रहा अहसास

बसंत जैसा ।


6.

धूप-छाँव की

देखी आँख-मिचौली

छाँव ना मिली ।


7.

ताश के पत्ते

बिछे चादर पर

ग्रीष्म-सौगात ।


8.

गुलमोहर 

रोमांचित पाकर

सूर्य उष्णता ।


09.

रसीली ऋतु

लाई फलों के रस

तन शीतल ।


10.

सूर्य दिन में

कितना भी कुपित

शाम को शांत ।


11.

शाम शीतल

चांदनी का चंदोवा

तना धरा पे ।

---00---


 □ मंजु महिमा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

MOST POPULAR POST IN MONTH