हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

सोमवार, 9 अगस्त 2021

हाइकु ताँका प्रवाह (चित्र आधारित कतौता सृजन प्रतियोगिता) अगस्त-2021

~ चित्र आधारित कतौता सृजन प्रतियोगिता ~

हाइकु ताँका प्रवाह

अगस्त - 2021

क्र. 16


विजयी प्रतिभागी

प्रविष्टि के 25 कतौता


चित्र

कतौता

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1.

कांटो में बैठ

जीवन लक्ष्य देखें 

दूर दृष्टि रखते ।


~ रूबी दास


2.

कांटों की तार

है संकट हज़ार

कैसे हो बेड़ा पार ।


~ निर्मला पांडेय 


3.

दिखे ना डाली

हुआ बिजली तार

एक मात्र आधार ।


~ देवयानी बनर्जी


4.

जिंदगी तो है

कँटीली तारों जैसी

फिर भी चहकते ।


~ संतोष बुद्धराजा 


5.

चार चिड़िया

झुंड बनाये बैठी

चर्चा कर रही है ।


~ छाया श्रीवास्तव 


6.

थे हम पांच

लगा हैं दरबार 

उड़े छितीज पार !


~ ज्ञान भंडारी 


7.

सोच समझ

वाणी बिन बुनते

घोंसला वो सजाते ।


~ मीरा जोगलेकर 


8.

साथ कब से

जो भी उड़े पहले

बेवफ़ा कहलाए ।


~ विवेक कवीश्वर 


9.

चिड़िया चार

काँटों पर कदम

पंखों पर भरोसा ।


~ अमिता शाह "अमी"


10.

कटा दरख़्त

देख रही बहनें

उजड़े आशियानें ।


~ अल्पा जीतेश तन्ना 


11.

है एकजुट

कांटों पर विराज

अंबक अनागत ।


~ कल्पना कामदार 


12.

आज रक्षक

बन गये भक्षक 

कैसे रहूँ अक्षुण्ण ।


~ मधु सिंघी 


13.

चिड़िया होना

कितना मुश्किल है

मौन हो कर जीना  !


~ विद्या चौहान 


14.

सारे है साथ

एकता की मिसाल 

जितेंगे यें संसार ।


~ कविता कौशिक 


15.

मिलता बल

जो हम सब साथ

एकात्मता की शक्ति ।


~ सुषमा अग्रवाल 


16.

सुदृढ़ स्वस्थ

एकता बलवान

कामयाबी का लक्ष्य ।


~ राजश्री राठी 


17.

सुजान चार

लौह श्रृंखला बैठ

करें गूढ़ विचार ।


~ शर्मिला चौहान 


18.

दुनिया वालों

हम सब साथ हैं

एकता की मिसाल ।


~ पूनम मिश्रा 


19.

हवा हो गया

डर हमार आज

मिल बैठे हैं हम । 


~ प्रकाश कांबले


20.

शाखाएँ छूटी

हुआ तार बसेरा

हम साथ साथ है ।


~ शीला तापड़िया 


21.

चारों  वेद के

ज्ञाता ये कबूतर

जन्मों का बस खेल ।


~ डॉ. शीला भार्गव 


22.

एकता शक्ति  

वंश गोरैया पंक्ति 

है शिष्टाचार भक्ति ।


~ हरीश रंगवानी 


23.

कंटीले तार

ही जीवन आधार

उजड़ गया नीड़ ।


~ गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"


24.

पंछी सुंदर

प्रकृति के श्रृंगार

दिव्य नेह प्रसार ।


~ पूर्णिमा सरोज


25.

मानव सीखो

सीमा हीन गगन

बैठे मस्त मगन ।


~ रेशम मदान 

☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆

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