हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

रविवार, 18 अगस्त 2024

~ हाइकुकार डॉ. राधाकृष्ण विश्वकर्मा जी के हाइकु ~

हाइकुकार डॉ. राधाकृष्ण विश्वकर्मा जी के हाइकु 

डॉ. राधाकृष्ण विश्वकर्मा


हाइकु 


हम मानव

दानव बन चुके

रोती प्रकृति ।

***

गुंडा बनूंगा 

यही दुनिया है जी

संस्कृति शून्य ।

***

रोती प्रकृति 

कराहता संसार 

कहां हो लल्ला ?

***

भारत माता

अंतर्ध्यान हो चुकी 

बिखरा देश ।

***

नंगा है कौन 

फैशनेबल लोग !

फटी ग़रीबी ?

***

आधुनिकता!

भौतिकता, फ़ैशन!

नई संस्कृति ?

***

पापी बनूं या 

बनूं आदर्शवादी 

असमंजस ।

***

विडम्बना है

राष्ट्रपिता भी बापू 

कैदी भी बापू ।

***

भागते लोग 

दिशाहीन लक्ष्य को

भटके लोग ।

***

नारी पुरुष 

एक दूजे के लिए

दूर हो गये ?

*****

~ डाॅ. राधाकृष्ण विश्वकर्मा 

बरगढ़ (ओड़िशा)

चलभाष - 9337311721

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