रक्षाबंधन के पावन अवसर पर वरिष्ठ हाइकु कवयित्री आ. दीदी डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी के हाइकु
डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी
हाइकु
छूट के भागा
निर्धन बहन का
रेशमी धागा !
***
रक्षा बन्धन
प्रेम की अटैची में
धन ही धन !
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उत्सव मौन
रिश्तों में गांठ लगी
खोलेगा कौन !
***
बहना भार
बांध नहीं पायी जो
सोने का तार !
***
उत्सव रीते
गांव- नगर छूटे
रिश्ते भी टूटे !
***
सूनी कलाई
दौलत की शान में
याद न आयी !
*****
~ डॉ. मिथिलेश दीक्षित
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