अंजनी कुमार शर्मा
अंगिका हाइकु
1.
बोली नै भाषा
छै हमरो अंगिका
अंगो के टीका ।
2.
विक्रमशिला
अजगैबी, मंदार
अंगो के द्वार ।
3.
जेंठा छै केला
लीची अफराद
बदलै स्वाद ।
4.
लहरावै छै
आमो केरो बगीचा
अंग-अंग में ।
5.
शरतचंद्र
के जेंठा ननिहाल
आदमपुर ।
6.
दानी कर्ण भी
रहै यहीं के राजा
मुस्कावै प्रजा ।
7.
सती प्रथा के
नींव पड़लै यहीं
जनपद में ।
8.
दस ठो बच्चा
जन्मवावै छै लुच्चा
ठग समुच्चा ।
9.
अंग धरा के
पांव पखारै गंगा
आरो कोशी भी ।
10.
शिक्षा के केंद्र
छिकै भागलपुर
दूर-दूर सें ।
11. नै अपमान
करो नारी सम्मान
माय समान ।
12
नै छै अबला
नारियो छै सबला
पूजनीय छै ।
13.
माय के पूजो
होथोंन बरक्कत
बनो सशक्त ।
14.
जत्ते कूदतै
बंदरवा गाछी पे
दर्द भागतै ।
15.
धुडखेल भी
छिकै होली के रूप
चेहरा भूप ।
16.
गंजेरी पीथें
बनै बकबकिया
खोजथों श्रोता ।
17.
जर-जनानी
कानों काटे मर्दो के
आगू वर्दो के
18.
हाइकु छिकै
साहित्य के ही विधा
खुब्भे सुविधा ।
19.
सरंगो भेलै
युगो में घर द्वार
जैवो आसान ।
20.
लिखै के आवै
अंजनी के भेले बूध
लिखे छै खूब ।
~~~*~~~
~ अंजनी कुमार शर्मा
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