हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025

~ हाइकु कवयित्री ऋता शेखर 'मधु' जी के मगही हाइकु ~

ऋता शेखर 'मधु'


मगही हाइकु

𑂧𑂏𑂯𑂲 𑂯𑂰𑂅𑂍𑂳


1.

बड़ जिगरा

देसवा के सैनिक

बने बेटवाऽ ।


2.

कहलै किस्सा

गुलाब के फुलवा

संगे कंटवा ।


3.

अमलतास

पीयर सड़िया में

खड़ा दुल्हिन ।


4.

चार बेटवा

होलै जे बंटवारा

घटलै खेत ।


5.

जोगी सुरुज

टहले एन्ने ओन्ने 

दिन से रात ।


6.

नदी के धार

बित्तल समइया

कब्बो न लौटे ।


7.

बरा अजूबा

धरती पर आके

टूटलै तारा ।


8.

ठहर गेलैऽ 

दुरबा पर ओस

मोती झुललै ।


9.

बेटी-बिदाई

टेंट के सनाटा में

गूँजे रोलाई ।


10.

मट्टी के चुल्हा

जलाबन लकरी

धुइयाँ आँख ।


11.

होलै बिआह

मेहमान निअर

अइलै धिया ।


12.

बोललै काग

अइतो रे पहुना

जल्दी से जाग ।


13.

जे न कमैले

खाके ताना के रोटी 

भूख मिटैले ।


14.

उड़लै गुड्डी

पीयर सरसो से

सजलै खेत ।


15.

घर के बेटी

सौंसे गाँव के बेटी

सबके दुलरी ।

~ ० ~


~ ऋता शेखर 'मधु'

~ 𑂩𑂱𑂞𑂰 𑂬𑂵𑂎𑂩 '𑂧𑂡𑂳'

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