हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शुक्रवार, 16 अगस्त 2019

हाइकुकार डॉ. आनन्द प्रकाश शाक्य "आनन्द" जी के हाइकु


हाइकुकार

डॉ. आनन्द प्रकाश शाक्य "आनन्द"

हाइकु 


सूर्य मायूस
गलन भरी सर्दी
धूप बेबस ।

तन जर्जर
कल्पना है स्वर्णिम
मन रंगीन ।

फैला आतंक
सघन कोहरे का
ठिठुरी सृष्टि ।

ऋतु हेमंत
शीत दिग-दिगन्त
आदि न अंत  ।

उड़ते पक्षी
नील गगन में ज्यों
पुष्प मालायें ।

बरसे मेघ
वे ठूँठ हरियाये
जीवन पाये ।

वयाँ चिड़िया
कुशल अभियंता
वाह! घोंसले ।

अस्ताचल में 
सूरज खेले होली
मले गुलाल ।

समय नदी
बहती कल-कल
आया न कल ।
~ ● ~

□  डाॅ. आनन्द प्रकाश शाक्य "आनन्द"

मैनपुरी (उ.प्र.)

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