हाइकुकार
सूर्यनारायण गुप्त "सूर्य"
हाइकु
1.
सिन्दूरी शाम
गगन में बिखरे
तारे तमाम ।
2.
नदी का कूल
हरे-भरे बाग में
खिलें हैं फूल ।
3.
प्यारा सा गाँव
बाँसाें का झुरमुट
धूपिया छाँव ।
4.
मन को माेहे
झिलमिलाते तारे
कितने प्यारे ।
5.
माँ तेरा प्यार
पा कर ऊँचा हुआ
मेरा संसार ।
6.
मन लहर
पी की याद में झूमे
आठाें पहर ।
7.
पुच्छल तारा
दिखा गया रात्रि में
प्यारा नजारा ।
8.
तारों की टाेली
आकाश-गंगा तट
करें ठिठोली ।
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