हाइकुकार
सुनील गुप्ता
हाइकु
1)
त्रस्त समाज
सर्वत्र कोलाहल
नीरो की वंशी ।
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2)
जलता देश
हिटलर का राज
केवल चुप्पी ।
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3)
बाँध व बाढ़
अनदेखा संघर्ष
टूटे, समेटे ।
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4)
परिवर्तन
कल का वो कानून
आज का धर्म ।
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5)
लक्ष्य कल्याण
भटके जब लोग
आज नक्सली ।
आज नक्सली ।
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6)
डरे कपोत
सहमे परवाज
घात में बाज ।
6)
डरे कपोत
सहमे परवाज
घात में बाज ।
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