हाइकु कवयित्री
अलका त्रिपाठी "विजय"
हाइकु
1)
नेह का बीज
उगते देह गेह
संस्कार श्रेष्ठ ।
2)
गर्भ तन में
शुभ्र जो बीज बोये
फलती धरा ।
3)
कर्म जो बोये
अवतरित सदा
फलित फल ।
4)
धरा की गोद
शून्य छूता शिखर
गर्भ में पल ।
5)
महा आकार
लघु रूप बीजक
महा वट सा ।
6)
बीज फलता
करता शुद्ध सृजन
चेतन मन ।
7)
अंनत फल
जो बीज लेता रूप
अंनत फूल ।
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें