हाइकुकार
रामेश्वर बंग
हाइकु
लगा ग्रहण
उम्मीदों ने निखारा
चमका चाँद ।
शूल के पथ
कर्म करता चल
होगा सफल ।
निभा कर्तव्य
चमके भाग्य रेखा
स्वर्णिम कल ।
रख उर में
मधु मधुर रस
महके रिश्ते ।
शहरी फ्लैट
बिखरे परिवार
टूटते रिश्ते ।
बासंती सोच
महकाती जीवन
लाती बहार ।
मन चमन
महकता पराग
शब्द सुमन ।
देते हैं दिशा
जीवन पथ पर
हमारे पिता ।
टूटते स्वप्न
उदास मन झरे
नयन नीर ।
गुरु का ज्ञान
जीवन पथ पर
देता प्रकाश ।
झरते पत्ते
दे जाते नव आशा
सृष्टि का सार ।
प्रेम सुमन
उदास जीवन में
लाए बसंत ।
मन बसंत
खिला स्नेह की कली
महके रिश्ते ।
मिट्टी की काया
कर जीवन कर्म
छोड़ अहम ।
वक्त की आंधी
टूटे शाख से पत्ते
ढूंढते ठौर ।
सुंदर फूल
जीवन की बगिया
झरे खुशबू ।
मन की धरा
पानी बदले रंग
वक्त के संग ।
कण्टक पथ
राही चला अकेला
खिलाने फूल ।
काँटो के पथ
खिले कर्म के फूल
झरे खुशबू ।
भाव अलाव
बदलता जीवन
नव विचार ।
मन के नभ
अंतर्मन के शून्य
दिव्य आलोक ।
छोटा सा सच
पल भर में काटे
झूठ के पर ।
नहाती रोज
उल्फत की फसलें
बहता लहू ।
टूटते रिश्ते
अस्तित्व को ढूँढता
बुजुर्ग पेड़ ।
मन सागर
सीप सी थाह सोच
देती है मोती ।
मन सरिता
बहे निर्मल धार
शुद्ध विचार ।
श्वेत बादल
नभ में भरे रंग
हवा के संग ।
पीला है पर्ण
रंगहीन जीवन
ढूँढता ठौर ।
मन का मौन
बदलता जीवन
देता है पथ ।
रिश्तों की कली
स्नेह प्यार से खिले
फूल महके ।
है सतरंगी
कहे दिल की बात
मन गुलाब ।
वर्ष नूतन
सूर्य रश्मियों संग
भर दे रंग ।
झरते पत्ते
चली वक्त की आँधी
ख्वाब टूटते ।
खुशी के फूल
महकाये जीवन
निखारे मन ।
हुई उदास
पेड़ की झुकी डाली
देख कुदाली ।
रक्षा कवच
ममता का आँचल
देता ममत्व ।
मन के शून्य
ईश्वर का स्वरूप
गहरा मौन ।
स्नेह की गंध
महकाते जीवन
खुशी के फूल ।
पढ़ तू मन
स्वयं दीपक बन
जग रोशन ।
स्वयं निखर
सूरज सा बिखर
फैले प्रकाश ।
दिव्य उजास
जग करे रोशन
मन दीपक ।
श्रेष्ठ मित्र वो,
बदल दे रंगत
दीपक बन ।
शब्द के शिल्प
व्यक्तित्व को दर्शाते
तौल के बोल ।
शब्द के फूल
महकाते चमन
प्रेम से रंग ।
देता चुभन
जब स्वयं को खोजे
मन दर्पण ।
वन औषधि
तन को रखे स्वस्थ
मन साधना ।
रख संवाद
छोड़ वाद विवाद
मिटे दूरियाँ ।
वक्त का दौर
शाख से झरे पात
ढूँढते ठौर ।
टूटी हैं छतें
गरीब परेशान
तेज थी आंधी ।
नदी में बाढ़
फसलें बरबाद
कृषक त्रस्त ।
पिता का गुस्सा
जिंदगी में भूकंप
देता है पथ ।
नदियाँ सूखी
धरती पे अकाल
धरा बेचैन ।
कड़वी वाणी
जीवन में सुनामी
करे विनाश ।
पथ दुर्लभ
राह में अवरोध
है भूस्खलन ।
मन का दर्द
उर का ज्वालामुखी
बरसे अग्नि ।
कड़वा सत्य
जिंदगी में भूकंप
लाया प्रलय ।
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