हाइकु कवयित्री
शशि त्यागी
हाइकु
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1.
चीर अँधेरा
उदित रश्मि रथ
हुआ सवेरा ।
2.
ब्रह्मांड शून्य
मानव एक बिंदू
नेत्र पुतली ।
3.
नारी जीवन
कलकल बहती
पावन नदी ।
4.
आँख का बिंदू
हृदय में समाता
समग्र सिंधु ।
5.
नवेली बहू
घर मध्य घूमता
सुगंध झोंका ।
6.
प्रसव काल
शिशु रुदन सुन
माता मुस्काई ।
7.
पोते के हाथ
खुली हुई छतरी
दादा हैं झुके ।
8.
छीन ले गया
सपनों की गुड़िया
अल्ट्रासाउंड ।
9.
कनेर पुष्प
कानों खोल सुनते
हवा की बात ।
10.
ज्येष्ठ बिछड़ा
सावन बरसाता
आँसू की धार ।
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