हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शनिवार, 3 अगस्त 2019

हाइकु : निर्मला सुरेन्द्रन

हाइकु कवयित्री 

निर्मला सुरेन्द्रन

हाइकु 

ईश्वर मिले
जब एकांत में हो 
एक गुहार ।

निश्छलता है
मन की खुशबू का
एक प्रारुप ।

अनुबंधिता
सुगंधित रिश्ते की
अबोध कड़ी ।

धीरे से खोलो
अपने शब्दकोश 
मौन सो रहा ।

दीप सा मन
प्रदीप्त ये प्रांगण
सांध्य कथन ।

भौरों ने रची
एक सुंदर गीत
पूर्ण संगीत ।

सूख ना जाये
भीगे नयन जरा
बाँच लो तुम ।

नटखट है
गगन का चंद्रमा 
बच्चों का मामा ।

□ निर्मला सुरेन्द्रन

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