हाइकु कवयित्री
निर्मला सुरेन्द्रन
हाइकु
ईश्वर मिले
जब एकांत में हो
एक गुहार ।
निश्छलता है
मन की खुशबू का
एक प्रारुप ।
अनुबंधिता
सुगंधित रिश्ते की
अबोध कड़ी ।
धीरे से खोलो
अपने शब्दकोश
मौन सो रहा ।
दीप सा मन
प्रदीप्त ये प्रांगण
सांध्य कथन ।
भौरों ने रची
एक सुंदर गीत
पूर्ण संगीत ।
सूख ना जाये
भीगे नयन जरा
बाँच लो तुम ।
नटखट है
गगन का चंद्रमा
बच्चों का मामा ।
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