हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

शनिवार, 3 अगस्त 2019

हाइकु : सुशील शर्मा

हाइकुकार

सुशील शर्मा 

हाइकु 

चढ़ता पारा 
अंतस अँधियारा 
ठंडा सूरज।

प्यासा मटका 
तपती दोपहर 
रिश्ता चटका।

खाली है पेट 
मुरझा कर भूख
कुदाल थामें। 

श्रम का स्वेद 
रक्त शोषित भेद 
रोटी में छेद। 

सूरज चूल्हा 
दिखती है चाँद सी 
दो जून रोटी।

उदित सूर्य
संजीवनी जिंदगी
नवल ऊर्जा।

ऊगता चाँद
अंधेरे से विस्मित
रात गुजारे।

पूर्णिमा चाँद
भागता अंधियारा
मुस्काई रात।

चाँद कटोरा
दूध भरी चांदनी
मुन्नी निहारे।

□  सुशील शर्मा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

MOST POPULAR POST IN MONTH