हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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बुधवार, 21 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री सुधा राठौर जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

सुधा राठौर 

हाइकु

एक ही नाद
ॐकार से उपजे
ब्रह्म संवाद ।
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एक ही शून्य
ब्रह्माण्ड है समाया
प्रभु की माया ।
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एक तिनका
आँख की किरकिरी
पीर घनेरी ।
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एक ही बूँद
सीपी के गर्भ बीच
बनती मोती ।
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एक ही सूक्ति
भावों की अभिव्यक्ति
उक्ति-कटूक्ति ।
•••
एक ही वार
करे आर या पार
पैनी कटार ।
•••
एक ही पल
निर्णायक क्षमता
करे सफल ।
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एक ही भूल
ताउम्र की चुभन
बनती शूल ।
•••
एक ही शब्द
ईश्वरीय स्वरूप
वह सिर्फ माँ ।
•••
एक ही बीज
बने विशाल वृक्ष
बीजों का जन्म ।
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एक मनन
सतत आत्मचिंतन
चित्त पावन ।
•••

□  सुधा राठौर

नागपुर  (महाराष्ट्र)

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