हाइकु कवयित्री
सुधा राठौर
हाइकु
एक ही नाद
ॐकार से उपजे
ब्रह्म संवाद ।
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एक ही शून्य
ब्रह्माण्ड है समाया
प्रभु की माया ।
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एक तिनका
आँख की किरकिरी
पीर घनेरी ।
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एक ही बूँद
सीपी के गर्भ बीच
बनती मोती ।
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एक ही सूक्ति
भावों की अभिव्यक्ति
उक्ति-कटूक्ति ।
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एक ही वार
करे आर या पार
पैनी कटार ।
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एक ही पल
निर्णायक क्षमता
करे सफल ।
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एक ही भूल
ताउम्र की चुभन
बनती शूल ।
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एक ही शब्द
ईश्वरीय स्वरूप
वह सिर्फ माँ ।
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एक ही बीज
बने विशाल वृक्ष
बीजों का जन्म ।
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एक मनन
सतत आत्मचिंतन
चित्त पावन ।
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