हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

गुरुवार, 15 अगस्त 2019

हाइकुकार स्व. गोपाल दास नीरज जी के हाइकु


हाइकुकार

गोपाल दास नीरज

हाइकु


1.
ओस की बूंद
फूल पर सोई जो
धूल में मिली ।
2.
सोने की कली
मिटटी भरे जग में
किसको मिली ।
3.
मन-मनका
पूजा के समय ही
कहीं अटका ।
4.
घट-मटका
रास्ता न जाने कोई
पनघट का ।
5.
कैसे हो न्याय
बछड़े को चाटे जब
खुद ही गाय ।
6.
जीवन का ये
अरुणाभ कमल
नेत्रों का छल ।
7.
बिखरी जब
रचना बनी एक
नवल सृष्टि ।
8.
सृष्टि का खेल
आकाश पर चढ़ी
उलटी बेल ।
9.
सेवा का कर्म
सबसे बड़ा यहाँ
मानव-धर्म ।
10.
गुनिये कुछ
सुनिए या पढ़िये
फिर लिखिए ।
11.
वो हैं अकेले
दूर खड़े हो कर
देखें जो मेले ।
12.
मेरी जवानी
कटे हुये पंखों की
एक निशानी ।
13.
किससे कहें
सब के सब दुख
खुद ही सहें ।
14.
है अनजानी
जीवन की कहानी
किसने जानी ।
●●●

□   गोपाल दास "नीरज"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

MOST POPULAR POST IN MONTH