हाइकु कवयित्री
अनिता मंदिलवार "सपना"
हाइकु
घना कोहरा
पेड़ों के झुरमुट
चिन्ता में सूर्य ।
बरसात में
मिट्टी का वो घरौंदा
है औंधा गिरा ।
शुभ प्रभात
कोहरे से झाँकता
सूरज रथ ।
रंग रंगीले
तितलियों के पंख
उड़े आकाश ।
नन्हीं हथेली
खुली सड़क पर
बेटी किसकी ।
झरना फूटा
विहंगम दृश्य ये
प्रकृति रूप ।
ओस की बूँदें
रजत सी दिखती
शुभ सबेरा ।
नयी कोपलें
पतझड़ के बाद
जीवन नया ।
जलतरंगें
सागर का किनारा
है दिवा स्पर्श ।
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□ अनिता मंदिलवार "सपना"
अंबिकापुर, जिला - सरगुजा
( छतीसगढ़ )
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